Thursday, October 09, 2008

Firaaq

रात यूं दिल में तेरी खोयी हुई याद आयी,
जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए,
जैसे सहराओं में हौले से चले बाद-ऐ-नसीम,
जैसे बीमार को बेवजह करार आ जाए।
(फैज़ अहमद फैज़)

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